पर्यायवाची

  कमल    -    जलज, पंकज,  नीरज, तोयज, सरोज, सरोरूह, सरसिज, सत्दल, उत्पल, वारिज, अम्बुज, पयोज, अरविंद। जल     -      नीर, तोय, पय, वारि, क्षी...

मातृभाषा - हिंदी व्याकरण

हिंदी व्याकरण प्रतियोगी परीक्षाओं में आमतौर पर पूछा जाने वाला एक महत्वपूर्ण विषय है इसके अंतर्गत संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, विशेष्य, कारक, क्रिया, क्रियाविशेषण, रस, छंद, अलंकार, समास, पर्यायवाची, संधि, प्रत्यय, उपसर्ग, परसर्ग पूछा जाता है। हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण विषयों को ध्यान में रखकर सम्पूर्ण पाठ्यक्रम यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है। आशा है आप लाभान्वित होंगे।

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संज्ञा और उसके भेद

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छन्द

छन्द,



वाक्य में प्रयुक्त अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ‘'छन्द'’ कहलाती है। छन्दस् शब्द 'छद' धातु से बना है। इसका धातुगत व्युत्पत्तिमूलक अर्थ है - 'जो अपनी इच्छा से चलता है'। इसी मूल से स्वच्छंद जैसे शब्द आए हैं। अत: छंद शब्द के मूल में गति का भाव है।


छंद के अंग निम्नलिखित हैं?
1.        चरण/ पद/ पाद
2.        वर्ण और मात्रा
3.        संख्या और क्रम
4.        गण
5.        गति
6.        यति/ विराम
7.        तुक

8.        गति - पद्य के पाठ में जो बहाव होता है उसे  गति कहते हैं।
  • यति - पद्य पाठ करते समय गति को तोड़कर जो विश्राम दिया जाता है उसे  यति कहते हैं।
  • तुक - समान उच्चारण वाले शब्दों के प्रयोग को तुक कहा जाता है। पद्य प्रायः तुकान्त होते हैं।
  • मात्रा – वर्ण  के उच्चारण में जो समय लगता है उसे मात्रा कहते हैं। मात्रा २ प्रकार की होती है लघु और गुरु । हृस्व उच्चारण वाले वर्णों की  मात्रा लघु होती है तथा दीर्घ उच्चारण वाले वर्णों की मात्रा गुरु होती है। लघु मात्रा का मान १ होता है और उसे। चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है। इसी प्रकार गुरु मात्रा  का मान मान २ होता है और उसे ऽ चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है।
  • गण - मात्राओं और वर्णों की संख्या और क्रम की सुविधा के लिये तीन वर्णों के समूह को एक गण मान लिया जाता है। गणों की संख्या ८ है – यगण (।ऽऽ),  मगण (ऽऽऽ),  तगण (ऽऽ।),  रगण  (ऽ।ऽ),   जगण (।ऽ।),  भगण (ऽ।।), नगण (।।।) और सगण (।।ऽ)।
गणों को आसानी से याद करने के लिए एक सूत्र बना लिया गया है- यमाताराजभानसलगा। सूत्र के पहले आठ वर्णों में आठ गणों के नाम हैं। अन्तिम दो वर्ण ‘ल’ और ‘ग’ छन्दशास्त्र के दग्धाक्षर हैं। जिस गण की मात्राओं का स्वरूप जानना हो उसके आगे के दो अक्षरों को इस सूत्र से ले लें जैसे ‘मगण’ का स्वरूप जानने के लिए ‘मा’ तथा उसके आगे के दो अक्षर- ‘ता रा’ = मातारा (ऽऽऽ)।
‘गण’ का विचार केवल वर्ण वृत्त में होता है मात्रिक छन्द इस बंधन से मुक्त होते हैं।
। ऽ ऽ ऽ । ऽ । । । ऽ
य मा ता रा ज भा न स ल गा
गण का नाम उदाहरण चिन्ह
  नाम   उदाहरण  चिन्ह
1.यगण   यमाता     ISS
2.मगण   मातारा     SSS
3. तगण   ताराज    SSI
4.रगण   राजभा    SIS
5. जगण   जभान  ISI
6. भगण   भानस   SII
7. नगण   नसल   III
8.सगण   सलगा   IIS




Arun Dev Yadav अरुण देव यादव पर मार्च 07, 2017
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